Wednesday, 16 March 2016

सफर अभी बाक़ी है

सो गए सहारे सभी
मेरी रात अभी बाक़ी है
डूब गया सूरज मगर
सफर आसमान का अभी बाक़ी है
सुना ली सबने ख्वाहिशें  अपनी
सोचा नहीं रुक कर सुनना कभी
भर जाएगा आँखों का गहरा समंदर ग़र
कर दूँ शुरू जो बात अभी बाक़ी है।
ना सुखी रहे डाली उमंगों की कोई
सींचना ही होगा हर क्यारी हमें
फूल खिलेंगे सपने मिलेंगे
माली का देखो अरमान अभी बाक़ी है
उगा के आँखों में सपने दो-चार
भर के पंखों में जान नई
चला नापने अंबर का किनारा
पंछी का देखो परवाज़ अभी बाक़ी है।

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