Saturday, 5 March 2016

कविता : पुर्णता

               

जहाँ उगता है सुरज उम्मीद का
खिलती है अरमानों की उजली धूप
रौशन होता है चाहत का आसमान
ऐसा आंगन
ऐसा सवेरा
ऐसा क्षितिज
हर घर
हर धरती
हर दृष्टि को नहीं मिलता

फिर भी बसता है
सारा संसार यहाँ सबका। 

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