Thursday 19 May 2016

हम तुम और जिंदगी

काश हो एक सुंदर शहर!
जागी जिंदगी हो जहाँ हर पहर
खुशियों की ना हो कोई उमर
मुस्कान सजती हो हर नज़र।

खुशियों में एक खुशी हो हमारी
नजरों में एक नजर हो हमारा
मुल्तवी तिल तिल के मरना रहेगा
फिर तो जीना भी होगा गंवारा।

सर पर सुरज हो डेरा जमाए
या पवन वेग से निज डराए
है कसम साथी पग डगमगाए
एक साया जो तेरा साथ आए।

राहें पथरीली होंगी पता है
सच यह मानो न कोई सजा है
हो अगर हाथ में हाथ नाजुक तुम्हारा
जीत भी लूँगा यह रण जिंदगी का।


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