Thursday 26 May 2016

साथी शुक्रिया!

जरा तुम ही ये बतला दो
करूँ किस पल का शुक्रिया।

बीते कल का शुक्रिया
या इस पल का शुक्रिया
या बीते संग जो तेरे
हरेक उस पल का शुक्रिया।

देखे ख्वाब जो कल तक
वो सारे साथ आ गये
फलक के तारे चमकीले
हों जैसे हाथ आ गये ।

न कोई आस अधूरी
न कोई प्यास अधुरी
तुम्हारे संग जो जी ली
हुई है जिंदगी पूरी ।

दुआ बिन मांगे हो पूरी
या मिन्नत हो कोई मन की
तेरी दो बाहों के साये
कमी फिर क्या है जीवन की ।

तुम जो पास हो मेरे
जरूरत कुछ नहीं दिखती
तुम्हारे साथ होने की
ख्वाहिश कम नहीं दिखती ।

तुम जो सामने बैठी
तो है इस पल का शुक्रिया
जरा तुम ही ये बतला दो 
करूँ किस पल का शुक्रिया।

तुम्हारे संग जीना है
मरना है तुम्हारे संग
हम -तुम बंध गये जिसमें
है उस बंधन का शुक्रिया ।

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