Thursday 2 June 2016

खंड-खंड भूगोल

सरकार जरा सुन लेते
अपनी चमचमाती वातानुकूलित कारों के
काले
शीशे से बाहर निकल कर
देख लेते
तो नजर आता वही
जो अन्यथा नहीं दिखता आप जैसों को।

गौर से देखने पर
दूसरा पहलू भी नजर आता है।
नजर आता है कमीज पर का 'रफ्फू' किया
और हंसते चेहरे के अंदर छिपा रूदन-भाव।


'शाइनिंग इंडिया', 'अतुल्य भारत'
अगर प्रोडक्ट्स हैं तो
वे डिफेक्टिव प्रोडक्ट्स कहे  जाएंगे।

यह अलग बात है कि
ऐसी सोच को हम ज्यादा तवज्जो नहीं देते
गुटखे का थूका और उनका ठिकाना
पृथ्वी का वही कोना है
जिधर हम-आप देखना भी गंवारा नहीं करते।

उनके हिस्से की पृथ्वी ने कबसे बंद कर दिया है
गोल-गोल घूमना
क्यों कि इसमें एक नहीं कई - कई धूरियाँ हैं
सूर्य हैं कई-कई
किन-किन पर करेगी घूर्णन
कौन से सूर्य का काटेगी चक्कर?


नाप लिया है वामन बन के किसी ने
इनके हिस्से की पृथ्वी
मुझे तो ये राजा बलि के वंशज दिखते हैं!

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