Friday 3 March 2017

भाषा के चित्र

तुम्हारी आँखें शब्दकोष हैं
हज़ारों शब्द हैं उनमें प्रेम के
तुम्हारी बातें व्याकरण हैं
उनसे संवरती है भाषा प्रेम की
तुम्हारी मुस्कान अलंकार है
सजता है मेरा काव्य जिससे
ये होंठ डायरी हैं
सुबह शाम लिखने के लिए
तुम गीत हो मेरे
पल-पल गुनगुनाने के लिए।

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