Tuesday 25 April 2017

गौरैये लौट आए हैं!

गौरये लौट आए हैं!

देखा मैंने
आज उद्यान की दूब पर उन्हें 
फुदकते हुए

गौरये
कहाँ थे अब तक

पूछा तो कहने लगे-
पंख खाली नहीं थे हमारे
इधर से उधर लिए
फिर रहे थे घरौंदे 
 
ढ़ूढ़ रहे थे 
 
कविताओं की तरह
सुरक्षित-सा ठिकाना कोई.. 



चित्र :गुगल से 

2 comments:

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    1. धन्यवाद! ब्लॉग पर आपका स्वागत है

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